अँधेरे में कुछ नहीं दिखता न घर न पेड़ न गड्ढे न पत्थर न बादल न मिट्टी न चिड़ियाँ-चुरुँग हाथ को हाथ भी नहीं सूझता अँधेरे में पर कैसा आश्चर्य! दुनिया के सबसे हसीन सपने हमेशा देखे जाते हैं अँधेरे में ही।
हिंदी समय में जितेंद्र श्रीवास्तव की रचनाएँ